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File photo |
आज हम आपको 40 दशक में लिए चलते है उस समय की एक मशहूर अदाकारा कुक्कू मोरे की जीवनी पर बात करते हैं कहते है कि 40 के दशक में कुक्कू मोरे ने फिल्मों में आइटम सॉन्ग की शुरुआत की थी। कुक्कू मोरे ने साल 1946 में फिल्म अरब का सितारा से डेब्यू किया था। 40 और 50 के दशक में एक डांस के लिए छह हजार रुपए तक फीस चार्ज करती थीं।
बॉलीवुड फिल्मों में आइटम सॉन्ग को पॉपुलर बनाने का क्रेडिट हेलन को जाता है। हालांकि, हेलन के आने से कई साल पहले 40 के दशक में कुक्कू मोरे फिल्मों में आइटम सॉन्ग की शुरुआत कर चुकी थी। कक्कू मोरे की कंगाली के वजह से महज 52 साल की उम्र में दुनिया से चली गईं।
कुक्कू मोरे ने साल 1946 में फिल्म अरब का सितारा से डेब्यू किया था। 40 और 50 के दशक में एक डांस के लिए छह हजार रुपए तक फीस चार्ज करती थीं। ये उस दौर में बहुत बड़ी रकम थी। कक्कू मोरे उस जमाने की मशहूर डांसर हेलन की भी बहुत अच्छी दोस्त थीं।
वो कुक्कू ही थी जिनके कारण हेलन को साल 1951 में आयी फिल्म ‘शबिस्तान’ के गाने के कोरस में नाचने का मौका मिला और कुछ समय बाद साल 1958 में दोनों ने बिमल रॉय की फिल्म ‘यहूदी’ और ‘हीरा मोती’ में एक साथ काम भी किया। मगर किसी ने सच कहा है कि किस्मत और समय का कोई भरोसा नहीं होता, पता नहीं कब पलट जाए। कुक्कू मोरे के साथ भी ठीक ऐसा ही हुआ। कहा जाता है कि आयकर विभाग के नियमों का उल्लंघन करने की वजह से विभाग ने उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली और देखते ही देखते सबकुछ ख़त्म हो गया और कुक्कू के पास से उनकी दौलत और शोहरत छीन ली गयी।
कुक्कू अपनी इस हालत का जिम्मेदार अपने आपको ही मानती थी। वो कहा करती थी कि जब उनके पास दौलत और शोहरत थी तब उन्होंने इसकी कदर नहीं की और आखिर में एक-एक पाई के लिए मोहताज़ होना पड़ा।
ये हसीन अदाकारा अपने जीवन के आखिरी दिनों में बहुत बीमार हो गयी थी, उन्हें कैंसर ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। मगर अफ़सोस की बात यह थी कि जीवन की इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ ना कोई रहने वाला था और ना ही कोई साथ देने वाला। जिस निर्देशक से वो प्यार करती थी उसने भी इन्हें नहीं अपनाया। ओर इस तरह वो अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ कर इस दुनिया से रुकसत हो गई आज भी उनकी फिल्म देख कर लोग उस जमाने में चले जाते हैं।
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