🎬 नाना पाटेकर:हिंदी सिनेमा के सबसे दमदार और सच्चे कलाकार की अनसुनी कहानी
– एक अभिनेता जिसकी रील ही नहीं, रियल ज़िंदगी भी प्रेरणादायक है।
🙏 नाना पाटेकर – एक सच्चे कलाकार की सच्ची कहानी
🧑🎬 पूरा नाम: विश्वनाथ पाटेकर
🎂 जन्म तिथि: 1 जनवरी 1951
📍 जन्म स्थान: मुरुद-जंजीरा, महाराष्ट्र, भारत
🏫 शिक्षा: सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई
👨👩👦👦 पारिवारिक स्थिति: एक बेटा – मल्हार पाटेकर
🎥 प्रमुख पहचान: अभिनेता, लेखक, निर्देशक, और समाजसेवी
🌟 फिल्मी करियर की शुरुआत:
नाना पाटेकर ने अपने करियर की शुरुआत 1978 में फिल्म "गमन" से की। मगर उन्हें पहचान मिली 1989 में "परिंदा" से, जिसमें उनके द्वारा निभाया गया गंभीर और उग्र किरदार भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर हो गया।
🔥 प्रमुख फिल्में:
क्रांतिवीर (1994) – राष्ट्रीय पुरस्कार
परिंदा (1989) – सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता
प्रहार (1991) – एक सैनिक की भूमिका निभाई और खुद ही फिल्म का निर्देशन भी किया
अंगार, अब तक छप्पन, अपहरण, Welcome सीरीज
🏆 पुरस्कार व सम्मान:
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार – 3 बार
फिल्मफेयर पुरस्कार
पद्म श्री – भारत सरकार द्वारा 2013 में सम्मानित
🙏 व्यक्तिगत जीवन और समाजसेवा:
नाना पाटेकर का जीवन कैमरे के बाहर भी उतना ही प्रेरणादायक है। उन्होंने किसानों के लिए "NAAM Foundation" शुरू किया, जो महाराष्ट्र में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में काम करता है।
वे एक सेना प्रेमी हैं और खुद एक प्रशिक्षित सैनिक भी रह चुके हैं।
बेहद सादा जीवन, कोई दिखावा नहीं – यही उनकी पहचान है।
🎤 प्रेरणादायक व्यक्तित्व:
नाना पाटेकर का व्यक्तित्व ईमानदारी, सच्चाई और देशभक्ति से परिपूर्ण है। वे सिनेमा को केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक सामाजिक ज़िम्मेदारी मानते हैं।
अंडरवर्ल्ड का हिस्सा बनने से कैसे बचे नाना पाटेकर
एक न्यूज रिपोर्ट से बात करते हुए नाना पाटेकर ने अपनी जिंदगी से जुड़े विषय पर बात की और बताया कि उनकी मां की परवरिश की वजह से वह अंडरवर्ल्ड का हिस्सा नहीं बने। उनके मामा और मां के परिवार के कई लोग अंडरवर्ल्ड में सक्रिय थे। ऐसे में मुंबई रहते हुए उनके अंडरवर्ल्ड में जाने की संभावना काफी ज्यादा थी। जिसके लिए उनकी मां उन्हें गांव ले गई और गांव में ही नाना पाटेकर की परवरिश हुई। जिसकी वजह से वह अंडरवर्ल्ड का हिस्सा बनने से बच गए।
बड़े बेटे की मौत के बाद खुद से हुई नफरत
रिपोर्ट से बात करते हुए नाना पाटेकर ने यह भी बताया कि उनके बड़े बेटे को जन्म के समय से ही बीमारी थी वह एक आंख से नहीं देख पता था और उसे देखकर मुझे यह महसूस होता था कि मैं कितना घिनौना आदमी हूं मैं यह सोचकर हैरान रहता था कि लोग मेरी बेटे को देखकर मेरे बारे में क्या सोचेंगे नाना पाटेकर ने यह भी बताया कि उनके बड़े बेटे की मृत्यु ढाई साल में ही हो गई थी जिसकी वजह से वह काफी परेशान थे और एक समय में वह खुद से नफरत करने लगे थे।
नाना पाटेकर की बात करें तो उन्होंने बॉलीवुड में पदार्पण 1984 में गिद्ध नाम की फिल्म से किया था 1992 में वह राजू बन गया जेंटलमैन, 1993 में तिरंगा, 1994 में क्रांतिवीर, 1996 में अग्निसाक्षी, 1997 में गुलाम-ए -मुस्तफा जैसी फिल्मों में नजर आए और इन फिल्मों में उनके दमदार अभिनय से उन्हें बॉलीवुड में मंझे हुए कलाकार की पहचान मिली। 2016 में आई उनकी मराठी फिल्म नटसम्राट काफी मशहूर हुई थी।
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