आमिर खान इंटरव्यू
अभिनेता, निर्माता आमिर खान अरसे बाद लोगों के सामने मुस्कुराते, खिलखिलाते और बेटी की शादी में रोते भी नजर आए। आमिर का ये बदला रूप उनके प्रशंसकों को भी खूब आकर्षित कर रहा है। अपनी अगली फिल्म ‘सितारे जमीं पर’ की शूटिंग शुरू करने से पहले उन्होंने तमाम मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी।
फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ जिन लोगों को भी पसंद आई, उनसे भी माफी मांगते हुए मैं यही कहना चाहता हूं कि इस फिल्म को बनाने में हमसे कुछ गलतियां हुईं। मैं उन सबसे माफी मांगता हूं। पहली गलती तो यही रही कि इसमें मैंने अपने अभिनय में जरूरत से ज्यादा मेहनत कर दी। कम लोगों को ही पता होगा कि इस फिल्म के लिए मेरे बेटे जुनैद ने जब ऑडिशन दिया था, मैंने ये मान लिया था कि ये किरदार उनसे बेहतर कोई दूसरा नहीं कर सकता। लेकिन, फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ का हिंदी अनुकूलन करने वाले अतुल कुलकर्णी और निर्माता आदित्य चोपड़ा की सलाह यही थी कि ये फिल्म मुझे करनी चाहिए। इस फिल्म की विफलता से मेरा दिल टूट गया था। फिर से संभलने में मुझे साल भर का समय लग गया।
जहां तक फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तां’ की बात है, मुझे रिलीज से पहले ही आभास हो गया था कि ये फिल्म फ्लॉप हो जाएगी। ये बात मैं अब इसलिए नहीं कह रहा हूं कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। इस बात का एहसास मुझे फिल्म के पूरा होते होते ही होने लग गया था। मेहनत हम सबने इस फिल्म के लिए भी बहुत की थी। मेरा मानना है कि कोई भी फिल्म अपनी कहानी, अपनी शैली और इसके कलाकारों के अभिनय से कालजयी होती है। आंकड़े बस कुछ महीनों के लिए ही याद रहते हैं।
कालजयी फिल्मों की बात करेंगे तो मैं ‘मुगले आजम’ और ‘गाइड’ जैसी फिल्मों का उदाहरण देना चाहूंगा। ये मुझे समय से परे फिल्में लगती हैं। ‘कागज के फूल’ को मैं इस श्रेणी में नहीं रखता। मेरे हिसाब से ये फिल्म संपूर्ण फिल्म नहीं है। इसकी पटकथा गड़बड़ है। फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ भी मेरे हिसाब से बेदाग फिल्म नहीं है। ये फिल्म टुकड़ों में प्रभावित करती है। गाने इसके कमाल के हैं। इस फिल्म के कलाकारों ने अभिनय भी कमाल का किया है, लेकिन ये एक ‘फॉल्टी’ फिल्म है।
लोग कहते हैं कोरोना संक्रमण काल ने दर्शकों को बदल दिया है। सिनेमा बदल दिया है। अभी लोग एक्शन फिल्में पसंद कर रहे हैं और इसीलिए ‘लाल सिंह चड्ढा’ नहीं चली। मेरे हिसाब से ‘लाल सिंह चड्ढा’ को रिलीज करने का समय सही नहीं रहा। तब तक लोगों को सिनेमाघरों में लौटने की आदत नहीं पड़ी थी। एक्शन फिल्मों का अभी ‘ट्रेंड’ चल रहा है और ‘ट्रेंड’ तो कभी भी बदल सकता है। मेरा मानना है कि दर्शकों को किसी बात में खुशी मिलने का समय बदल गया है। और, ये बात तो मैं शुरू से मानता आ रहा हूं कि फिल्म के कारोबार पर इसकी समीक्षाओं या सोशल मीडिया का खास असर नहीं पड़ता। मेरा मानना रहा है कि दर्शक रिलीज से पहले ही फिल्म को सूंघ लेते हैं।
पहले लोगों को किसी अच्छी फिल्म को देखने का धैर्य था और वह तीन घंटे की फिल्म देखकर खुश होते थे, अब ये खुशी वह 30 सेकेंड की रील्स में हासिल कर लेते हैं। हमें दर्शकों को बांधकर रख पाने वाली कहानियां तलाशनी होंगी। ऐसी कहानियां जिन्हें लोग अपना मोबाइल फोन तीन घंटे के लिए दूर रखकर देख सकें। अच्छी कहानियां होंगी तो लोग तीन घंटे का समय निकालकर फिल्म देखने जरूर आएंगे।
मेरे बेटे जुनैद का डेब्यू फिल्म ‘महाराज’ से हो रहा है, उसने अभिनय का प्रशिक्षण लिया है और उस पर वंशवाद (नेपोटिज्म) का ठप्पा इसलिए नहीं लग सकता क्योंकि उसने एक सामान्य युवक की तरह अपना करियर फिल्म इंडस्ट्री में शुरू किया है। उसने मुंबई की सारी कास्टिंग एजेंसियों में जाकर अपना ऑडिशन दिया है। उसे लोग पहचानते भी नहीं है। वह बस से सफर करने का शौकीन है। उसे लेकर हम एक प्रेम कहानी शुरू कर रहे हैं। साईं पल्लवी के साथ बन रही इस फिल्म का संगीत बहुत ही सुरीला बना है।
मेरे बेटे जुनैद का डेब्यू फिल्म ‘महाराज’ से हो रहा है, उसने अभिनय का प्रशिक्षण लिया है और उस पर वंशवाद (नेपोटिज्म) का ठप्पा इसलिए नहीं लग सकता क्योंकि उसने एक सामान्य युवक की तरह अपना करियर फिल्म इंडस्ट्री में शुरू किया है। उसने मुंबई की सारी कास्टिंग एजेंसियों में जाकर अपना ऑडिशन दिया है। उसे लोग पहचानते भी नहीं है। वह बस से सफर करने का शौकीन है। उसे लेकर हम एक प्रेम कहानी शुरू कर रहे हैं। साईं पल्लवी के साथ बन रही इस फिल्म का संगीत बहुत ही सुरीला बना है।
फिल्म ‘लापता लेडीज’ से पहले किरण राव ने अपनी पिछली फिल्म ‘धोबी घाट’ 13 साल पहले बनाई थी। बीच में 10 साल उन्होंने हमारे बेटे आजाद की परवरिश को दिए हैं। आजाद बड़ा हुआ तो उन्होंने अपनी फिल्म के लिए कहानियां तलाशनी शुरू की। ये लोग सात-आठ विषयों पर काम कर रहे थे, फिर मैंने उनकी टीम को ये कहानी लाकर दी।
मेरी अगली फिल्म ‘सितारे जमीं पर’ की शूटिंग 1 फरवरी से शुरू हो रही है। इसमें मेरे साथ जेनीलिया देशमुख और 10 असल जिंदगी के सितारे हैं। ये सारे कलाकार निजी जिंदगी में किसी न किसी शारीरिक या मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। इनको ही लेकर हमने इस फिल्म की योजना बनाई है। हमने इनकी जगह किसी अभिनेता को नहीं लिया।